अथ श्री कलम-कथा

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अथ श्री कलम-कथा  यशवन्त कोठारी मुझे एक पेन खरीदना था। दुकानदर के पास हजार तरह के पेन थे। दुकान पर बहुत भीड़ थी। मैं भीड़ से डरता हूं, अतः दुकानदार से बोला भैया एक ठीक-ठीक सा पेन दिखाओ जो चलते समय रुके नहीं। दुकानदार ने कई पेन दिखाये मगर कीमत इतनी ज्यादा थी कि मेरे बस मंे नहीं था। मैंने एक सस्ता सा मध्यमवर्गीय पेन दिखाने को कहा। उसने मुझे घूरा, फिर पेन दिखाने के बजाय पूछ बैठा। आप क्या करते है ? मैं लिखता पढ़ता हूँ। अच्छा तो आप लेखक है। शक्ल से तो मेवाफरोश लगते हो।