पोस्टर पेस्टर

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एक थर्राती आवाज गूंजी थी, ‘‘ अबे नीचे उतर.’’ अकबर ने पीछे मुड़ कर देखा. एकाएक यकीन न हुआ. पोस्टर का राक्षस सामनेसाक्षात खड़ा था.अकबर के थर-थर कांपने से सीढ़ी डगमगाने लगी थी और हथेली से पसीना चूने लगा था. शाम को ठेकेदार ने चीजें पकड़ाते हुए अपना बदबूदार मुंह खोलकर दो बातें कहीं थीं. पहली बात थी कि पोस्टर रात को 10 बजे के बाद ही चिपकाने है. दूसरी बात यह कि दादर से बांद्रा तक के इलाके में चिपकाने हैं.उसके पास चार चीजें थी. बांस की सीढ़ी, गोंद की बाल्टी, झाड़ू जैसा ब्रश औरपोस्टरों का गट्‍ठर. वह उन्हें उठाकर चल पड़ा था.अकबर पुराना पोस्टर पेस्टर था. नाम से रोब पड़ता है न. ठेकेदार अपने सभी बंदोंको इसी नाम से पुकारता था. ठेकेदार के रजिस्टर में