मेरी पगली...मेरी हमसफ़र - 3

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मैं उसे देख थोड़ा चौक गया!मैंने एक बार उसे आवाज दी 'सुनो'!लेकिन उसने सुना नही,शायद इसीलिए कि वो बहुत मन से मंच पर चलने वाली प्रस्तुति को सुन रही थी।उसके चेहरे पर फैली मुस्कान मुझे बता रही थी कि वो उस शाम को कितने ध्यान से एन्जॉय कर रही है।मैंने उसे फिर आवाज दी 'सुनो'।इस बार उसने सवालिया निगाहों से मेरी ओर देखा तो मैंने अपना हाथ ऊपर उसके सामने कर दिया और बोला 'सुनो,आपका दुपट्टा' !न जाने क्यों मैं उसके लिए शब्दो का इस्तमाल कर गया जो मैं कम ही करता था।उसे देख वो झेंप गयी और सॉरी कहते