भीडतंत्र

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भीडतंत्र एक पाठशाला में प्रधानाचार्य महोदय प्रतिदिन छात्रों को शाला छूटने के बाद एक कहानी सुनाते थे। इससे छात्रों को मनोरंजन के साथ साथ सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों के विषय में भी उन्हें ज्ञान प्राप्त होता रहता था। एक दिन उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि लोकतंत्र से जनता का हित नही हो पाता उसे भीडतंत्र के रूप में जाना जाता है। हमारे जनप्रतिनिधि अलग अलग विचारधारा कार्यकलाप एवं कार्य करने की प्रणाली में इतने एक दूसरे से इतने मतभिन्न होते है कि वे बंधी हुई रस्सी को अलग अलग दिशाओं में मोडकर स्वयं भी दिग्भ्रमित हो जाते