भूख : एक व्यथा

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भूख, ये ऐसा शब्द है जो अमीर के लिए कुछ भी नही है, परंतु गरीब किए सब कुछ है। वो इसके लिए जीता है, इसके लिए ही काम करता है। भूख अमीर लोगो किए महज दो टाइम का खाना जैसा है। गरीब इसी भूख, यही खाने के लिए पूरे दिन काम करता है, तब जाके उसकी भूख खतम होती है। और वही भूख दूसरे दिन फिर से जाग जाती है, और इसी के लिए वो पूरे दिन फिर मेहनत करता है।आज हर मध्यमवर्गीय और गरीब भूखा है, कोई पैसे के लिए, कोई झोपड़ी लिए, कोई रोटी के लिए। गरीब इंसान