काहे री नलिनि तू कुम्हलानी

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काहे री नलिनि ......... सूरज अपने पूरे तेज के साथ हाजिर । दोपहर के तीन बजने को हैं । महानगर के बीचोबीच ई पी एफ का यह आलीशान दफ्तर । दफ्तर में भीतर बाहर ग्राहकों का भारी जमावङा । लोग अपना काम न होने की मायूसी लिये वापिस लौटने की तैयारी में हैं । सब बार- बार नलिनि मैडम को पूछ रहे हैं ।“ नलिनि मैडम कहाँ हैं ?”“ आज आई क्यों नहीं ? उनसे एक बार मिल लेते तो काम पक्का हो जाता । ““ ये नलिनि मैडम तो आज भी नहीं आई । कब आएंगी