किरायेदार

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किरायेदार मैं तुम्हारे जबाब का इन्तजार करूँगा निशा! " लेकिन याद रहे जबाब मुझे हाँ में ही चाहिए। " अधिकार से जबाब मांगा गया। निशा को याद आ रहे थे वो दिन जब श्याम किरायेदार बन कर उसके घर रहने आया था। शुरू- शुरु में वह भी एक अजनबी के जैसे ही घर में रहता था। सबेरे अपने दफ्तर जाता और शाम में आते ही अपने कमरे में चला जाता। निशा के मन में भी उसके प्रति कुछ खास नहीं था। कभी कभार दोनों में हल्की बातचीत हो जाती थी। हाँ निशा के माँ- पिताजी के साथ वह