तृप्ति (सम्पूर्ण भाग)

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एक वैभवशाली राज्य में, "अरे,श्याम! आज तुम ठीक से मृदंग क्यों नहीं बजा रहे,एक भी थाप ठीक से नहीं लग रही,"कमलनयनी बोली। "आज मेरा मन थोड़ा विचलित सा है राज नर्तकी जी! "श्याम बोला। "परन्तु क्यों? श्याम! आज तुम्हारा मन इतना विचलित क्यों है? क्या कारण है?" कमलनयनी ने पूछा। "कुछ नहीं,बस ऐसे ही,"श्याम ने उत्तर दिया। "यदि नहीं बताना चाहते तो मत बताओं,परन्तु अभ्यास में विघ्न ना डालों,अभ्यास तो भलीभाँति कर लो",कमलनयनी बोली। "ठीक है" और इतने कहकर श्याम,कमलनयनी के संग अभ्यास में लग गया। कमलनयनी,पल्लव देश के राजा कर्णसेन की राजनर्तकी है,कर्णसेन हृदय से कमलनयनी को प्रेम करते