धारा - 14

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धारा मंदिर पहुंची ! बड़ा ही विशाल और भव्य मंदिर था ! हर जगह राम जी का नाम लिखा हुआ था ! धारा चकित रह गयी देखकर !! "वास्तव में, प्रतिमा चाहे हनुमानजी की है लेकिन मंदिर तो रामजी का ही है !! यहां के कण कण में रामजी के होने का आभास हो रहा है !!" धारा मुग्ध होते हुए खुद से ही बोली।धारा ने अंदर जाकर भगवान के दर्शन किये और पंडित जी को प्रसाद दिया चढ़ाने के लिए। धारा बड़े ही गौर से पूरे मंदिर को देख रही थी ! बड़ी ही बारीकी नक्काशी की गई थी