जीवन ऊट पटाँगा - 6 - दो पाटों के बीच बतर्ज़ सैंडविच

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बीच वाले [ नीलम कुलश्रेष्ठ ] बुआ ने अब की बार बोरिया बिस्तर हमारे यहाँ पटककर झंडा गाढ़ दिया कि उर्मि की शादी किये बिना यहां से नहीं टलेंगी। हमारे घर में आते ही उर्मि माँ से शादी की बात सुनकर आँखें झुकाये शर्मायी सी उँगली में चुन्नी लपेटने लगी थी। मैंने ध्यान से देखा चेहरे की कस्बाई किसकिसाहट से पूर्ण रूप से उसके व्यक्तित्व को अपनी चपेट में ले रक्खा था। वैसे भी उसके नाक नक्श सुंदर कहलाने लायक नहीं थे। मुंहासों के नोचने से बने निशानों के कारण बीच बीच में उखड़े सीमेंट सा चेहरा हो गया था।