दुल्हन....

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रिमझिम के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे,वो बस में बैठी यही सोच रही थी कि काश आज उसके पास पंख होते तो वो उड़कर अपने ननिहाल पहुंच जाती,सूजी हुई आंखें और बोझिल मन से वो इन्तज़ार कर रही थी कि कब बस शांति नगर के बस स्टैंड तक पहुंचें..... उसे अंदर से लग तो रहा था कि ऐसा कुछ होने वाला है लेकिन कल रात को ही हो जाएगा,ये उसने नहीं सोचा था,कल रात ही तो सतेश्वर मामा का फोन आया था कि वो नहीं रहीं, धनी व्यक्तित्व और सहनशीलता में परांगत मेरी नानी शीतला देवी