नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 13

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13 उस दिन समिधा बहुत आनमनी रही | कितनी सस्ती है ज़िंदगी यहाँ ? किन आधारों पर जीवन जीते हैं ये लोग ? क्या है इनके जीवन का मंत्र ? क्या जीवन का यही आदि और अंत है? देखा जाए तो ज़िंदगी है क्या ? एक गुब्बारा? एक धागा ? एक पल? कोई कण ---पता नहीं ? मगर समिधा को यहाँ ज़िंदगी एक धमाके सी लगी । ऊपर से टपकी, नीचे धम्म से गिरी और बस ---फिर दूसरी ओर यह भी लगा यहाँ लोग ज़िंदगी जीते भी हैं तो एक शिद्दत से, मस्ती से जैसे उसने बाज़ार से गुज़रते हुए