आखिरी ख़त....

  • 2.6k
  • 1
  • 693

१९६९ गुजरात का एक छोटा सा कस्बा.... मनोज बेटा! मुझे आज कुछ ज़रूरी काम है,अगर तुम मेरा एक काम कर सको तो, अग्रवाल साहब ने अपने बेटे मनोज से कहा।। जी बाबू जी! जुरूर,पहले आप काम तो बताइए,मनोज बोला।। वो मैंने तुम्हें बताया था ना कि गांव की जमीन का कुछ भाग जागीरदार ने हथिया लिया है तो उस सिलसिले में मैंने एक वकील से बात की थीं, उन्होंने आज मिलने के लिए बुलाया था, लेकिन मैं जा ना सकूंगा, दफ्तर में नए अफ्सर आ रहें हैं तो उनके स्वागत के लिए मुझे आज वहां रूकना होगा,बेहतर होगा जो तुम