नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 18

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18 अब तक तीन बज चुके थे, समिधा को भी पेट में घुड़दौड़ महसूस होने लगी थी | वह बँगले की तरफ चल दी | रैम फ़र्श पर लेटा हुआ था |  “हो---मैडम !कितना देर कर दिया ?” समिधा ने महसूस किया, भूख से उसकी आँतें कुलबुला रही थीं जो उसके चेहरे पर पसरकर चुगली खाने लगीं थीं |  “तुम्हें खाना खा लेना चाहिए था अब तक, कहकर नहीं गई थी –खा लेना !” समिधा ने रैम से शिकायती अंदाज़ में कहा |  “आप भी तो नहीं खातीं मैडम, मेरे बिना –“ रैम ने समिधा पर अपना सारा बोझ लाद