नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 38

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38 किन्नी की बीबी एक दिन यूँ ही अपना मन हल्का करने समिधा की माँ के पास आकर बैठ गईं थीं | आजकल उनके मुख से प्रसन्नता की जगम्गाहट कहीं दूर जा छिपी थी जैसे खुशी उनके साथ आँख-मिचौनी खेल रही हो | कुछ दिनों पहले तक तो परिवार के प्रत्येक सदस्य के मुख पर प्रसन्नता झलकती रहती थी परंतु अब—सपाट और सूनी आँखों में ढेरों प्रश्न भरे दिखाई देते | अब उनके पास चर्चा का विषय केवल उनके पति की बीमारी व बच्चों का लालन-पालन ही होता था | वे दया से इसी बात की चर्चा कर रही थीं