नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 41

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41 समिधा बीती बातों की डोर में उलझकर रह गई थी, अनेक अनुत्तरित उलझे प्रश्नों ने उसके मस्तिष्क की तमाम नसों को उलझाकर मकड़ी के जाले में कैद कर दिया था | पूरी रात भर वह एक ही स्थिति में पड़ी रही | पुण्या ने उसे उठाने का प्रयास किया परन्तु वह नहीं उठ पाई | उसके शरीर की चुस्ती, फुर्ती, ऊर्जा मानो भीतर ही चूस ली गई थी | उसकी सुबकियों ने पुण्या को बेचैन कर दिया था और वह अनचाहे करवटें बदलते हुए अपनी पिछली तस्वीरें खोलकर उन्हें उलट-पुलट करने लगी थी | अभी उसकी तस्वीरें इतनी धुंधली