होली की एक शाम

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""""""""होली की एक शाम"""""""""मार्च का महीना था रोज़ की तरह रघु अपने परिवार के साथ जमींदार के खेत में बैलों के साथ आलू के खेत की जुताई कर रहा था,हल के पीछे -पीछे रघु के दोनों बच्चे और उसकी पत्नी राधा आलू बिन कर इकठ्ठा कर के जमीदार के सामने रख रहे थे। एक एक आलू पर जमींदार की पैनी नज़र थी,मजाल है कि कोई एक आलू भी इधर का उधर कर दे। रघु के दोनों बच्चे छोटे जरूर थे मगर उन्हें यह भली भांति मालूम था कि एक आलू चोरी करने की सजा क्या होगी।पिछले साल की ही तो