श्याम ,शायद यह मेरा अंतिम प्रेमपत्र हो | अंतिम इसलिए कह रही हूँ कि धीरे-धीरे मैं उम्र के उस पड़ाव पर पहुँच रही हूँ ,जिसे दुनियावी प्रेम का अंतिम छोर माना जाता है |इस उम्र में प्रेम का नाम लेना उपहास का पात्र बनना है |वैसे तो सभी कहते हैं प्रेम में उम्र नहीं देखी जाती ,पर जहां भी कुछ बेमेल दिखा ,लोग हँसी उड़ाने लगते हैं |स्त्री के लिए तो यह चरित्र का मामला बन जाता है ,जबकि पुरूष के लिए यह उतना हास्यास्पद नहीं होता |यही कारण है कि एक युवती प्रौढ़ प्रेमी के लिए गौरवान्वित होती देखी