नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 44

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44 पुण्या का ज़ख्म अभी काफ़ी गहरा था परंतु उसने आज पूरा दिन काम किया था सो पीड़ा अधिक बढ़ गई थी | ’शूट’ से लौटकर वह दवाई खाकर बिस्तर पर लेट गई | खाना पूरी यूनिट ने बाहर ही खा लिया था | सभी थके हुए थे, समिधा व पुण्या के भीतर तो कोई और ही जंग छिड़ी हुई थी | कितना कठिन होता है मन से संवेदनाओं का बाहर निकालकर बाहर फेंक देना, वे मन में चिपक ही तो जाती हैं | हम सब मुखौटे या खोल पहनकर जीते रहते हैं, ऐसे मुखौटे जिनमें कभी-कभी साँस लेना भी