यार तुणे क्या किया - 2 - अंतिम भाग

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काहाणी शुरु करते हे पिछले अध्याय मे हमणे देखा की दिपक को समज आता हैं आकाश गलत नहीं था श्रावणी गलत थी तो अब हम देखेगे आगे क्या होवा दो महिने गणपती आगए थे तब मानसी बोलती हे दिपाली दिपक कहा हे तब दिपाली बोलती हे क्यो तब मानसी बोलती हे अरे गणपती बाप्पा को लाने जाना है तब दिपक आता हे और वो बोलता हे जब गणपती आए और मे नहीं आवो ये कभी भी नहीं हो सकता तब दोनो चले जाते हे तब आकाश आता हे और वो बोलता हे दिपक कैसे हो तब दिपक कोछ नहीं बोलता