नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 48

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48 कॉलेज में शिक्षा के प्रति गंभीर छात्र बहुत कम थे | कॉलेज नाम भर के लिए जाना एक फ़ैशन सा होने लगा था | गाँवों से आकर कॉलेज में प्रवेश लेने वाले लड़के दिल्लगी करने, मस्ती करने के लिए आते थे | इनमें अधिकतर ऐसे उद्दंड व बिगड़े हुए लड़के होते थे जिनके संरक्षकों के पास गाँव में बहुत ज़मीन-जायदाद थी पर शिक्षा के नाम पर मस्तिष्क की कोरी स्लेट ! माता-पिता चाहते थे कि उनका जीवन तो जैसे-तैसे व्यतीत हो ही गया है अब उनके सुपुत्र शहर में जाकर सही मायनों में शिक्षा प्राप्त करें जिससे वे अपनी