प्रेरणा पथ - भाग 1

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आत्म कथ्य जीवन में जन्म की पहली श्वांस से मृत्यु की अंतिम श्वांस तक मानव संघर्षरत रहता है। हम कल्पनाओं को हकीकत में बदलने हेतु प्रयासरत रहते हैं। कभी खुशी कभी ग़म के बीच जीवन के 62 बसंत बीत गये। जो कुछ देखा, सुना और समझा उन विचारों को कहानी के माध्यम से व्यक्त किया है। ये रोचकता के साथ साथ, प्रेरणास्पद भी रहें, ऐसा मेरा प्रयास है। रचनाओं को सजाने, सँवारने में श्री राजेश पाठक ‘ प्रवीण ‘ एवं श्री देवेन्द्र राठौर का अमूल्य सहयोग प्राप्त