प्रेरणा पथ - भाग 5

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31. विदाई विष्व में हमारी सभ्यता, संस्कृति व संस्कारों का बहुत मान-सम्मान है। इसका मूलभूत कारण हमारी प्राचीन षिक्षा पद्धति है। मैं जिस पाठषाला में पढ़ता था वहां की परम्परा थी कि बारहवीं कक्षा में उत्तीर्ण होने के पष्चात षाला की षिक्षा समाप्त होकर छात्र महाविद्यालय में प्रवेष लेकर आगे अध्ययन करते थे। षाला की ओर से ऐसे सभी विद्यार्थियों के लिये एक विदाई समारोह का आयोजन होता था। इसमें षाला के प्राचार्य अपना अंतिम आषीर्वचन छात्रों को देते थे। मुझे आज भी उनके द्वारा