नैनं छिन्दति शस्त्राणि - 54

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54 अचानक ! समिधा पाशोपेश में पद गई | उसने तो कुछ सोचा ही नहीं था इस बारे में ! हाँ, वह सारांश को एक अच्छे इंसान की, एक अच्छे मित्र की हैसियत से पसंद करती थी पर --- समिधा को भौंचक्की देखकर रोज़ी खिलखिलाकर हँस पड़ी |  “हाँ, मैं समिधा के साथ अपना पूरा जीवन बिताना चाहता हूँ | ”सारांश ने अब खुलकर कहा |  समिधा अचकचा उठी और कुछ अजीब सी दृष्टि से उसने सारांश की ओर देखा | उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि सारांश इतनी आसानी से उसके सामने अचानक यह सब कुछ परोस