चल उड़ जा रे पंछी

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सुनील को घर गए हुए साल भर हो गया था। इंदौर में प्राइवेट नौकरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहा था। वह हर साल की तरह गेहूं की फसल आने पर घर जाने को तथा अपने माता - पिता से मिलने को व्याकुल हुआ जा रहा था। सुनील के जीजाजी दिवाकर भी इंदौर में ही प्राइवेट नौकरी कर रहे थे। दिवाकर भी सुनील से कुछ ही दूरी पर रहते थे। सुनील के भांजे अमन की 10 वीं बोर्ड की परीक्षा भी ख़तम हो चुकी थी। एक अलिखित नियम के अनुसार बच्चों की परीक्षा के बाद नाना - नानी