एक दिन चौबीस घंटे

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लेखिका आर. चूड़ामणी अनुवाद एस. भाग्यम शर्मा अपने आँखों के ऊपर बांए हाथ से आड बनाते हुए उसने पूछा ‘‘कौन है?’’ जैसे ही वे बोली वैसे ही ‘‘तुम अन्दर आ जाओ मां। कोई भी आएं तुम्हें क्या करना! आने वाले के बारे में पहले आकर उसके बारे में मालूम आपको करना है क्या?’’ माँ को डांट कर नडेशन ‘‘आईये बालू’’ कहकर मेरा स्वागत किया। ‘‘बालू है क्या! कौन सा बालू ? कोई नया नाम लग रहा है? तुम्हारे ऑफिस का दोस्त है क्या?’’ ‘‘हाँ, आपको बताना जरूरी है क्या? उनका पूरा नाम जन्मपत्री बना कर दूं? अन्दर आओ ना अम्मा।’’