औलाद

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रात का सन्नाटा छाया हुआ था । अमावस के बाद वाली रात्रि थी तो अंधेरा ज्यादा भयावह लग रहा था । ओर उसमे झींगुरो की आवाज उस माहौल को तंग कर रही थी। शारदा अपने घर के वरंडे के पास बंधे जूले के पास बैठी हुई थी । वो अनिमेष झूले को देखे जा रही थी। वहा जब मनोहर ने करवट ली तो देखा शारदे नही थी वो घबराकर अपने बेड से उठ कर बाहर आ गया। उस ने आवाज लगाई शारदा ओ सारदा पर कोई उत्तर नही आया। तभी उसकी नजर झूले के पास बैठी शारदा पे गई। वो