वट सावित्री का व्रत

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तमिल कहानी लेखिका आर. चूडामणी अनुवाद एस.भाग्यम शर्मा (तमिलनाडु में वट सावित्री का व्रत सुहागिनें व कन्यायें सभी रखती हैं। इसे नोम्बू के नाम से मनाते हैं व इस दिन उपवास रख कर एक विशेष प्रकार का व्यंजन बना कर, कहानी सुना कर गले में पीला धागा जिसमें कच्ची हल्दी की छोटी सी टुकडी पिरो कर पहना जाता हैं। यह कहानी उसी पर आधारित है।) ‘‘ अरी यमुना ! जब देखो तब उस कंदन के साथ क्यों खेलती रहती है ? अन्दर आओ नोम्बू का चरडू ( धागा ) बाधंना है। ’’ यमुना का मन तो खेल में ही रम