वह अब भी वहीं है - 39

  • 3.3k
  • 1.4k

भाग -39 गुस्से में तुमको झिड़क कर मैं चला गया। उस समय मेरे दिमाग में यह बात भी आई कि, जो भी हो तुम छब्बी नहीं बन सकती। सारे मेहमान अगले दिन सुबह ही चले गए। मैं भी सुबह ही दो घंटे काम करने के बाद अपने कमरे में आकर लेट गया। मैं अपने को बेहद अपमानित महसूस कर रहा था। वह महिला एक बड़ी अधिकारी, और उससे भी बड़ी अय्याश औरत थी, उसे मेरा साथ पसंद आया था, मैं इतना ही जान सका था। रमानी बहनें अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल हुई थीं। अपनी सफलता के लिए उन्होंने