एक प्रेम कहानी...

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पापा! जल्दी चलिए ना, वैसे भी बहुत देर हो चुकी हैं, स्कूल का पहला दिन है, पहला दिन और लेट, बहुत खराब इम्प्रेशन पड़ेगा, संस्कृति अपने पापा सौरभ से बोली। नहीं बेटा! ऐसे कैसे? मेरे रहते हुए तो स्कूल देर से कैसे पहुंच सकती है, सौरभ बोला। तो पापा! कार की स्पीड थोड़ा और बढ़ा लिजिए ना, संस्कृति बोली। ठीक है.... ठीक है... ले बढ़ा ली, सौरभ बोला। और थोड़ी ही देर में सौरभ ने संस्कृति को स्कूल पहुंचा दिया, संस्कृति सौरभ को बाय करके स्कूल के गेट के अन्दर चली गई। संस्कृति बारहवीं की छात्रा है, सौरभ का अचानक