शाबाश ग़रीबी

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एक बड़े से हॉल में तालियाँ ही तालियाँ बज रहीं थीं,तालियों की गड़गड़ाहट गूँज-गूँज कर किसी का स्वागत करने को आतुर थीं तभी तालियों की तलाश ख़त्म हुई और वो चेहरा सामने आ ही गया।उसने डेस्क पर रखे माइक को उठा कर दो शब्द ही बोले थे-"कैसे हो साथियों"?फिर अचानक से तालियों और सीटियों से वातावरण गूँज उठा।"बस-बस काफी स्वागत और सम्मान आपने मुझे दिया,जिसका मैं तहे दिल से शुक्र गुज़ार हूँ और दोस्तों आज मैं आप सबके लिए एक किस्सा लेकर आया हूँ"।"कुछ किस्से ऐसे होते हैं जो दब कर मर जाते हैं लेकिन जो काफी कुछ सीखा सकते