वह अब भी वहीं है - 48

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भाग -48 उस समय तुम गुस्से से ज्यादा दुखी थी। मेरा रमानी बहनों के पास जाना तब तुझे बहुत ज्यादा अखरने लगा था। अपने ही जाल में तू खुद को फंसा पाकर व्याकुल हो रही थी। तेरी परेशानी देख कर मैंने कहा, 'अगर तू तैयार हो तो अब यहां से कहीं और चलें। कहीं और अपना ठिकाना बनाएं। अपना काम शुरू करें। आखिर यह सब एकदिन तो करना ही पड़ेगा। कब-तक ऐसे इंतजार करते रहेंगे। काम-भर का तो पैसा इकट्ठा हो ही चुका है।' मगर मेरी सारी बातें फिर सिरे से बेकार हो गईं। तुमने जो बातें कहनी शुरू कीं