नौकरानी की बेटी - 43

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आनंदी ने कहा हां दीदी मैंने अपनी कहानी का नाम समर्पण इसलिए रखा क्योंकि जो मैं जो कुछ भी हुं वो कहीं ना कहीं आपकी और मां की समर्पण की वजह से ही। मैं जो चाहती थी वो ही हुआं और जब मेरा सपना सच हो गया तो मैंने कहानी का नाम समर्पण रखा क्योंकि आज मैं जो कुछ भी हुं वो सिर्फ आपके साथ की वजह से, आप के समर्पण की वजह से। और फिर कहानी जो भी पढ़ेंगे वो समझ जाएंगे कि मैं इस कहानी के द्वारा सबको क्या सन्देश देना चाहती हुं।रीतू ने कहा वाह क्या बात