वह अब भी वहीं है - 53 - अंतिम भाग

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भाग -53 मैंने ख्वाब में भी नहीं सोचा था कि कभी इन बर्छियों का जख्म भरेगा। यह जख्म देने वाले शौहर को कभी भूल पाऊँगी। काश देश में तीन तलाक पर कानून पहले बना होता तो मैं उस नामुराद को मज़ा जरूर चखाती। लेकिन तू ही देख न, सोच न कि जब तेरे साथ सुकून मिला। तुमने बेइंतेहा प्यार दिया । पैसा कमाने का जूनुन शुरू हुआ तो सब भूल गई। खो गई तुझी में। अब तू खुद को ही देख ले ना। जब मुझसे मिला तो शुरू में अपनी छब्बी की कितनी बातें करता था। थकता ही नहीं था।