तड़प--भाग(१)

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अरे! बाप रे! इतना समय हो गया,मुझे जल्द ही घर भागना पड़ेगा नहीं तो वो मेरी हिटलर दादी इतनी खरी-खोटी सुनाएगी कि मुझे अपनी मरी हुई नानी याद आ जाएगी,फिर इतना सुनातीं हैं कि कलेजा हलक़ तक आने लगता है,शिवन्तिका ने अपनी सहेली सुहासा से कहा।। कितना डरती है तू अपनी दादी से शिवी! सुहासा बोली।। डरना पड़ता है मेरी जान! वो तो उन्होंने स्वतंत्रतासंग्राम की लड़ाई नहीं लड़ी,नहीं तो अंग्रेज कब का भारत छोड़कर चले गए होते,शिवन्तिका बोली।। सच! तेरी दादी इतनी खतरनाक हैं क्या? सुहासा ने पूछा।। खतरनाक़ मत बोल,बहन! बम का गोला हैं....बम का