आम के पेड़ का पिशाच

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आम के पेड़ का पिशाच गौधूली बेला का समय था, करीब करीब सूरज अपने घर को पहोचने को था और चांद अपनी चांदनी बिखेर रहा था। पुरे गांव में और आसपास के सारे इलाकों में जैसे अंधेरे ने अपनी चादर फैला दी थी। मंदिर से दर्शन करके सांझ भी अपने घर को लौट रही थी। मंदिर गांव के पास में ही था। पैदल चलकर जाए तो करीब ५ से ७ मिनिट की दूरी पर। सांझ भगवान में बहोत मानती थी। सांझ अपने नित्यक्रम के मुताबिक हनुमान चालीसा करते करते मंदिर से गांव की और अपने घर जाने लगी। उसने देखा