उलझन

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रीमा तुम ये क्या कर रही हो तुम होश में तो हो तुम्हें समझ नहीं आता में कितनी बार कह चुका की तुम अपना हाल इस तरह मत बनाया करो..।तुम क्या कह रहे हो तुम्हे ये मेरा हाल .. ।नहीं तुम तो बहुत खुशी से बैठी हुई हो! जाओ थोड़ा नहा धोकर आओ और मेरे लिए खाना तैयार करो ।रीमा का मन विचलित था। और वह अभिनव की बात सुन कर सर हिला देती हैइधर उसका मन एक तीव्र बयार की तरह बह रहा है। उसके मन मे कुछ ख्याल आ रहे हैं जिसे अभिनव समझ नहीं पा रहा था ।रीमा