प्यार ऐसा भी - 5

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मैं उसको यूँ खुश देख कर अच्छा महसूस कर रहा था। अपनी असहजता को किनारे कर उसने भरपूर सहयोग किया। वहाँ से आने के बाद हमारा भावनात्मक लगाव और बढ़ गया।मुझे लगने लगा कि मुझसे हर काम पूछ कर करे या बता कर करे। "तुम आम पतियों की तरह बिहेव मत किया करो"। कई बार हँसते हुए वो कहती तो मैं उसको कहता," पति हूँ बेशक अनऑफिशियल हूँ, तो पति जैसे बोलूँगा भी"।मैं हमेशा उसको कहता, "जो कमाती हो उसमे से कुछ अलग रखा करो, आगे तुम्हारे ही काम आएँगे"। उसका कहना" हमारा परिवार हमेशा मेरे साथ रहा है और