संयोग-- अनोखी प्रेम कथा - (भाग 3)

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"मालती""आपने बुलाया?"शंकर की आवाज सुनकर मालती चली आयी।"मालती यह संगीता है।इसे नहलाकर नए कपड़े मंगाकर पहनाओ।""यस सर्"।मालती, संगीता को अपने साथ ले जाती है।वह उसे बाथरूम में ले जाकर सब समझा देती है।मालती अपने एक जोड़ी नए कपड़ दे देती है।संगीता शॉवर के नीचे खड़ी होकर काफी देर तक नहाती रही।फिर तौलिये से बदन पोंछकर कपड़े पहन कर बाहर निकली थी।फिर मालती उसे शंकर के पास ले गयी।"सुंदर।अति सुंदर,"सरला,संगीता को बदले रूप में देखकर बोली,"तू कमल के फूल के समान है।कमल का फूल गन्दगी में खिलकर भी कितना सुंदर होता है।कितना लुभावना होता है।लक्ष्मी का प्रिय।""माँ यह फूल नही हीरा