तीन दिन बेहद बेचैनी में बीते विमल के, वो हर पल इंतजार करता रहा की कैसे ये तीन दिन बीते और उसे वसुधा का दीदार हो। इधर वसुधा के मन में भी कुछ कोमल सा महसूस हो रहा था विमल के लिए। वो कर्जदार हो गई थी विमल की। अगर उस दिन विमल ना आया होता तो कोई शक नही था की उसका एक साल बरबाद हो जाता। उसका रोज पीछा करना अभी तक जहां वसुधा को अखरता था, वही अब वो शुक्रिया अदा कर रही थी । आखिर इंतजार खत्म हुआ । सुबह सुबह तैयार होकर वसुधा एग्जाम देने