ग्यारह अमावस - 51

  • 4.7k
  • 1
  • 2.6k

(51)सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ध्यान से उसकी हरकतों को देख रहा था। वह समझने की कोशिश कर रहा था कि दीपांकर दास यह सब जानबूझ कर गुमराह करने के लिए तो नहीं कर रहा है। हांलांकि उसे अनुभव हो रहा था कि जो कुछ वह कह रहा है सच हो सकता है। उसकी परेशानी बनावटी नहीं है। फिर भी वह पूरी तरह से उसे शक के दायरे से बाहर नहीं रखना चाहता था। उसने कहा,"शुबेंदु साये की तरह तुम्हारे साथ रहता था। फिर भी तुम उसके बारे में कुछ कह नहीं पा रहे हो। शुबेंदु उस दिन तुम्हारे साथ शांति