Gyarah Amavas book and story is written by Ashish Kumar Trivedi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Gyarah Amavas is also popular in Thriller in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
ग्यारह अमावस - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Thriller
हरिया ने एक नज़र जंगल में चरती अपनी भेड़ों पर डाली। सभी आराम से चर रही थीं। वह अपने खाने की पोटली लेकर चश्मे के पास चला गया। वहाँ एक पत्थर पर बैठकर उसने पोटली खोली। आज भी उसकी पत्नी ने रोटी और लहसुन की चटनी ही बांधी थी। यह देखकर वह बड़बड़ाने लगा,
"हर रोज़ वही। यह नहीं कि कभी कुछ और बना दिया करे। पर करें क्या जो भी है खाना पड़ेगा।"
यह कहकर वह चुपचाप खाने लगा। कुछ देर तो मन खिन्न रहा। फिर मन दूसरी तरफ चला गया। वह सोचने लगा कि उसकी पत्नी की भी क्या गलती है। वह जितना कमाता है उसी में वह घर चलाती है। उसकी कमाई बहुत अधिक नहीं है। भेड़ें उसकी अपनी तो हैं नहीं। दिनभर उन्हें चराने के बदले थोड़ी सी मजदूरी मिलती है। उसमें दो वक्त पेट भर जाए वही बहुत है। कुछ देर पहले उसके मन में अपनी पत्नी के लिए जो गुस्सा था, वह गायब हो गया था। अब वह अपनी किस्मत को कोसने लगा।
(1)हरिया ने एक नज़र जंगल में चरती अपनी भेड़ों पर डाली। सभी आराम से चर रही थीं। वह अपने खाने की पोटली लेकर चश्मे के पास चला गया। वहाँ एक पत्थर पर बैठकर उसने पोटली खोली। आज भी उसकी ...Read Moreने रोटी और लहसुन की चटनी ही बांधी थी। यह देखकर वह बड़बड़ाने लगा,"हर रोज़ वही। यह नहीं कि कभी कुछ और बना दिया करे। पर करें क्या जो भी है खाना पड़ेगा।"यह कहकर वह चुपचाप खाने लगा। कुछ देर तो मन खिन्न रहा। फिर मन दूसरी तरफ चला गया। वह सोचने लगा कि उसकी पत्नी की भी क्या
(2)चारों तरफ पहाड़ों से घिरा बसरपुर एक शांत कस्बा था। सूरज की पहली किरण के साथ ही लोग जाग गए थे। सब अपने अपने कामों में लग गए थे। सड़क के किनारे बनी चाय की दुकानों में भट्टी जल ...Read Moreथी। उन पर चढ़े पतीलों से भाप उठ रही थी। लोग चाय की चुस्कियां लेने के लिए दुकानों पर जमा होने लगे थे।बंसीलाल ने भी अपनी दुकान खोल दी थी। भट्टी में रखे पतीले में चाय का पानी खौल रहा था। बंसीलाल ने उसमें चाय की पत्ती डाली। कुछ रुककर दूध डाला। अंत में चीनी डालकर थोड़ी
(3)गुरुनूर ने पिछली तीन लाशों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स को ध्यान से पढ़ा। पहली लाश जो पूरब के पहाड़ वाले जंगल में मिली थी उसकी रिपोर्ट के अनुसार हत्या का समय लाश मिलने के दो से तीन हफ्ते पहले बताया ...Read Moreथा। पश्चिमी पहाड़ से मिली लाश की रिपोर्ट के अनुसार उसकी हत्या भी करीब हफ्ते भर पहले हुई थी। पूरब वाले पहाड़ी जंगल में मिली दूसरी लाश भी पाए जाने के समय करीब हफ्ते भर पुरानी थी। दक्षिण पहाड़ पर मिली चौथी लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई थी। गुरुनूर हत्या के संभावित समय और लाश के मिलने की
(4)लाश वाली जगह से लौटते हुए गुरुनूर शांति कुटीर पर रुकी। सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह और कांस्टेबल हरीश के साथ अंदर गई। अंदर इमारत किसी आश्रम की तरह लग रही थी। गेट से अंदर की तरफ एक रास्ता जा ...Read Moreथा। उसके दोनों तरफ लॉन था। उसमें पेड़ पौधे लगे थे। कुछ आगे जाने पर एक कंपाउंड था। उसके सामने एक भवन था। चारों तरफ कुटी के आकार के छोटे छोटे भवन बने थे। एक व्यक्ति उन लोगों के पास आया। नमस्कार करके बोला,"मेरा शुबेंंदु है। आप लोगों का यहाँ कैसे आना हुआ ?"कांस्टेबल हरीश ने गुरुनूर का परिचय
(5)चौथी लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी। लाश मिलने के पंद्रह दिन पहले हत्या की संभावना व्यक्त की गई थी। इस बार एक ऐसी चीज़ सामने आई थी जो कुछ मदद कर सकती थी। मरने वाले किशोर की ...Read Moreटांग में मेटल की एक प्लेट लगी थी। जिस पर एक नंबर था। जिसकी सहायता से यह पता चल सकता था कि प्लेट किस अस्पताल में, किस सर्जन द्वारा, किस व्यक्ति को इम्प्लांट की गई थी। फारेंसिक टीम ने वह सीरियल नंबर देकर उस विषय में जानकारी एकत्र करने को कहा था। गुरुनूर किसी अच्छी खबर के इंतज़ार में