ग्यारह अमावस - Novels
by Ashish Kumar Trivedi
in
Hindi Thriller
हरिया ने एक नज़र जंगल में चरती अपनी भेड़ों पर डाली। सभी आराम से चर रही थीं। वह अपने खाने की पोटली लेकर चश्मे के पास चला गया। वहाँ एक पत्थर पर बैठकर उसने पोटली खोली। आज भी उसकी ...Read Moreने रोटी और लहसुन की चटनी ही बांधी थी। यह देखकर वह बड़बड़ाने लगा,
"हर रोज़ वही। यह नहीं कि कभी कुछ और बना दिया करे। पर करें क्या जो भी है खाना पड़ेगा।"
यह कहकर वह चुपचाप खाने लगा। कुछ देर तो मन खिन्न रहा। फिर मन दूसरी तरफ चला गया। वह सोचने लगा कि उसकी पत्नी की भी क्या गलती है। वह जितना कमाता है उसी में वह घर चलाती है। उसकी कमाई बहुत अधिक नहीं है। भेड़ें उसकी अपनी तो हैं नहीं। दिनभर उन्हें चराने के बदले थोड़ी सी मजदूरी मिलती है। उसमें दो वक्त पेट भर जाए वही बहुत है। कुछ देर पहले उसके मन में अपनी पत्नी के लिए जो गुस्सा था, वह गायब हो गया था। अब वह अपनी किस्मत को कोसने लगा।
(1)हरिया ने एक नज़र जंगल में चरती अपनी भेड़ों पर डाली। सभी आराम से चर रही थीं। वह अपने खाने की पोटली लेकर चश्मे के पास चला गया। वहाँ एक पत्थर पर बैठकर उसने पोटली खोली। आज भी उसकी ...Read Moreने रोटी और लहसुन की चटनी ही बांधी थी। यह देखकर वह बड़बड़ाने लगा,"हर रोज़ वही। यह नहीं कि कभी कुछ और बना दिया करे। पर करें क्या जो भी है खाना पड़ेगा।"यह कहकर वह चुपचाप खाने लगा। कुछ देर तो मन खिन्न रहा। फिर मन दूसरी तरफ चला गया। वह सोचने लगा कि उसकी पत्नी की भी क्या
(2)चारों तरफ पहाड़ों से घिरा बसरपुर एक शांत कस्बा था। सूरज की पहली किरण के साथ ही लोग जाग गए थे। सब अपने अपने कामों में लग गए थे। सड़क के किनारे बनी चाय की दुकानों में भट्टी जल ...Read Moreथी। उन पर चढ़े पतीलों से भाप उठ रही थी। लोग चाय की चुस्कियां लेने के लिए दुकानों पर जमा होने लगे थे।बंसीलाल ने भी अपनी दुकान खोल दी थी। भट्टी में रखे पतीले में चाय का पानी खौल रहा था। बंसीलाल ने उसमें चाय की पत्ती डाली। कुछ रुककर दूध डाला। अंत में चीनी डालकर थोड़ी
(3)गुरुनूर ने पिछली तीन लाशों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स को ध्यान से पढ़ा। पहली लाश जो पूरब के पहाड़ वाले जंगल में मिली थी उसकी रिपोर्ट के अनुसार हत्या का समय लाश मिलने के दो से तीन हफ्ते पहले बताया ...Read Moreथा। पश्चिमी पहाड़ से मिली लाश की रिपोर्ट के अनुसार उसकी हत्या भी करीब हफ्ते भर पहले हुई थी। पूरब वाले पहाड़ी जंगल में मिली दूसरी लाश भी पाए जाने के समय करीब हफ्ते भर पुरानी थी। दक्षिण पहाड़ पर मिली चौथी लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं आई थी। गुरुनूर हत्या के संभावित समय और लाश के मिलने की
(4)लाश वाली जगह से लौटते हुए गुरुनूर शांति कुटीर पर रुकी। सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह और कांस्टेबल हरीश के साथ अंदर गई। अंदर इमारत किसी आश्रम की तरह लग रही थी। गेट से अंदर की तरफ एक रास्ता जा ...Read Moreथा। उसके दोनों तरफ लॉन था। उसमें पेड़ पौधे लगे थे। कुछ आगे जाने पर एक कंपाउंड था। उसके सामने एक भवन था। चारों तरफ कुटी के आकार के छोटे छोटे भवन बने थे। एक व्यक्ति उन लोगों के पास आया। नमस्कार करके बोला,"मेरा शुबेंंदु है। आप लोगों का यहाँ कैसे आना हुआ ?"कांस्टेबल हरीश ने गुरुनूर का परिचय
(5)चौथी लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आ गई थी। लाश मिलने के पंद्रह दिन पहले हत्या की संभावना व्यक्त की गई थी। इस बार एक ऐसी चीज़ सामने आई थी जो कुछ मदद कर सकती थी। मरने वाले किशोर की ...Read Moreटांग में मेटल की एक प्लेट लगी थी। जिस पर एक नंबर था। जिसकी सहायता से यह पता चल सकता था कि प्लेट किस अस्पताल में, किस सर्जन द्वारा, किस व्यक्ति को इम्प्लांट की गई थी। फारेंसिक टीम ने वह सीरियल नंबर देकर उस विषय में जानकारी एकत्र करने को कहा था। गुरुनूर किसी अच्छी खबर के इंतज़ार में
(6)दोनों पति पत्नी अभी कुछ समय पहले मिली दुखद खबर को सह नहीं पा रहे थे। गुरुनूर ने सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे की तरफ देखा। वह भी समझ नहीं पा रहा था कि क्या किया जाए। वह उठकर अजय ...Read Moreपास गया। उन्हें तसल्ली देते हुए बोला,"हम आपके दुख को समझ रहे हैं। पर हमें आपसे सवाल करने पड़ेंगे तभी हम उस व्यक्ति तक पहुंँच पाएंगे जिसने अमन का कत्ल किया है।"गुरुनूर ने कहा,"आपके बेटे की लाश बसरपुर के पहाड़ी जंगल में मिली है। उसका सर कटा हुआ था। उसके पैर में लगी मैटल प्लेट से हम पता कर
(7) जलती हुई मशालों की रौशनी में वह जगह आदिम युग की किसी गुफा की तरह दिख रही थी। अंधेरे और उजाले के मिले जुले प्रभाव में तहखाने का माहौल बहुत ही रहस्यमई लग रहा था। मशाल की रौशनी ...Read Moreके मुखौटे पर पड़ रही थी। उसके पीछे से झांकती उसकी आँखों में शैतानी चमक साफ देखी जा सकती थी। सभी नौजवान जांबूर की तरफ टकटकी लगाए बैठे थे। जांबूर ने अपने दोनों हाथों को उठाकर कहा,"ज़ेबूल जो समस्त शैतानी शक्तियों का स्वामी है उसको हमारा अभिवादन।"सभी नौजवानों ने जांबूर की तरह अपने हाथों को उठाकर कहा,"शैतानी शक्तियों के
(8) गगन सोकर उठा तो दिन चढ़ आया था। वह उठकर बाहर आया। बरामदे में धूप थी। कुछ देर वह वहीं एक मोढ़ा लेकर बैठ गया। बहुत समय के बाद वह अपने घर के बरामदे में इतने इत्मिनान से ...Read Moreथा। इससे पहले जब भी आता था काम होने के बाद तुरंत पालमगढ़ के लिए निकल जाता। इस बार वह जानबूझकर छुट्टी लेकर आया था। मोढ़े पर बैठे हुए वह इधर उधर देख रहा था। तभी उसका पड़ोसी रामबन उसके घर के सामने से गुज़रते हुए रुक गया। उसने पूछा,"गगन तुम कब आए ?"रामबन भी उन लोगों में था
(9) किसी तरह बाइक घसीट कर वह अपने घर ले गया था। उस रात देर तक जागते हुए वह महिपाल के बारे में सोच रहा था। वह ताकतवर बनने की बात कर रहा था। बचपन से वह खुद भी ...Read Moreयही सोचता रहा था कि काश उसे कुछ ऐसा मिल जाए जिससे वह ताकतवर बन जाए। जैसा कि किस्से कहानियों में होता है। बचपन में लंबे समय तक वह ऐसे चमत्कार की उम्मीद लगाए रहा था। लेकिन समय के साथ उसे समझ आ गया था कि किस्से कहानियों को छोड़कर कहीं ऐसा नहीं होता है। उसने मान लिया था
(10) शांति कुटीर में कुछ मेहमान आए थे। यह एक मध्यमवर्गीय परिवार था। परिवार में निशांत चतुर्वेदी, उनकी पत्नी देवयानी चतुर्वेदी और चौदह साल की बेटी अहाना चतुर्वेदी थी। चतुर्वेदी परिवार अहाना के लिए ही यहाँ आया था। इस ...Read Moreउम्र में अहाना के साथ कुछ ऐसा हुआ था कि वह एकदम शांत रहती थी। निशांत चतुर्वेदी को जब दीपांकर दास की तकनीक का पता चला तो वह अहाना को दिखाने के लिए लेकर आया था। इस समय तीनों दीपांकर दास के उस कमरे में बैठे थे जहाँ वह सबसे मिलता था। अहाना अपनी नज़रें झुकाए चुपचाप बैठी थी।
(11) पुलिस जीप पालमगढ़ में रेड रोज़वैली हायर सेकंडरी स्कूल के सामने आकर रुकी। गुरुनूर और इंस्पेक्टर कैलाश जोशी नीचे उतरे। साथ में सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे भी था। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने कहा,"स्कूल की प्रिंसिपल राजेश्वरी सचान स्कूल ...Read Moreही एक हिस्से में रहती हैं। मैंने बात की है उनसे। फिलहाल तो वह प्रिंसिपल ऑफिस में ही मिलेंगी।"इंस्पेक्टर कैलाश जोशी यह कहकर स्कूल के गेट की तरफ बढ़ गया। गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे उसके साथ चल दिए। उन्हें देखकर गार्ड ने गेट खोल दिया। गेट के अंदर घुसे तो एक आदमी उन्हें प्रिंसिपल ऑफिस में ले
(12) दिनेश का गांव बसरपुर के पास ही था। अगले दिन सुबह गुरुनूर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के साथ उससे मिलने गई थी। घर के बाहर चारपाई पर गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे पैर लटका कर बैठे थे। ...Read Moreसामने दूसरी चारपाई पर पालथी मारकर बैठा था। उसने गुरुनूर से कहा,"चाय मंगवाऊँ मैडम...""नहीं हम आपसे कुछ पूछताछ करने आए हैं।"यह कहकर गुरुनूर ने उसके चेहरे पर अपनी नज़रें टिका दीं। दिनेश ने कहा,"हम तो पहले ही सबकुछ बता चुके हैं। फिर भी आप जो पूछना चाहें पूछ लें।"गुरुनूर ने कहा,"आपने उस हादसे के कुछ दिनों के बाद ही रिटायरमेंट
(13) निशांत अपनी पत्नी देवयानी के साथ पुलिस स्टेशन में घुसा। देवयानी ज़ोर ज़ोर से रो रही थी। निशांत बहुत परेशान था। वह रोते हुए इंस्पेक्टर कैलाश जोशी से बोला,"सर मेरी बेटी ना जाने कहाँ चली गई है...."इंस्पेक्टर कैलाश ...Read Moreने उसे और देवयानी को बैठाया। उसके बाद बोला,"अब शांत होकर सही तरह से सारी बात बताइए।"निशांत ने खुद को संभाला। उसने कहा,"सर कल शाम मैं अपनी पत्नी और बेटी को लेकर पालमगढ़ आया था। बस में हमें एक आदमी मिला था। उसने कहा था कि बस अड्डे के पास वह हम तीनों के ठहरने की व्यवस्था करा देगा।
(14) गुरुनूर ने एकबार फिर अपना फोन चेक किया। कांस्टेबल उद्धव का कोई मैसेज नहीं था। उसे भेजते समय गुरुनूर ने कहा था कि हर तीन घंटे के बाद तुम ठीक हो यह बताने के लिए थंब्स अप का ...Read Moreभेजते रहना। कल आखिरी बार कांस्टेबल उद्धव ने रात दस बजे मैसेज भेजा था। उसके बाद से कोई मैसेज नहीं आया था। रात में उसने कई बार मैसेज चेक किया था। सुबह उठकर उसे कॉल किया था। घंटी बजती रही पर फोन नहीं उठा। वह समझ गई कि कोई गड़बड़ है। इसलिए तैयार होकर पुलिस स्टेशन जा रही थी। रास्ते
(15) गुरुनूर उस जगह पर पहुँची जहाँ दिनेश की लाश मिली थी। उसने अपने ड्राइवर से कहा कि वह इंतज़ार करे। वह कुछ देर में आती है। जिस जगह दिनेश की लाश पड़ी थी वहाँ पुलिस की टीम अच्छी ...Read Moreदेख चुकी थी। गुरुनूर उस जगह से कुछ अंदर की तरफ चली गई। वह बड़े ध्यान से चारों तरफ देख रही थी। जहाँ लाश मिली थी उससे कोई पचास मीटर अंदर जाने पर कुछ झाड़ियां थीं। गुरुनूर ने उसके पीछे देखा तो वहाँ एक ताबीज़ जैसा दिखा। उसने उसे उठाकर देखा। वह पहचान गई। ताबीज़ दिनेश के भाई
(16) गुरुनूर को भी लग रहा था कि कांस्टेबल उद्धव को दिनकर ने कोई नुक्सान नहीं पहुँचाया है। दिनकर ने कहा था कि दिनेश अक्सर एक गाड़ी में कहीं जाता था। उसे लगा कि ऐसा हो सकता है कि ...Read Moreउद्धव कल रात दिनेश का पीछा करते हुए गया हो। तब दिनेश या उसके साथियों ने ही कुछ किया हो। उसने दिनकर से पूछा,"तुम कह रहे थे कि दिनेश किसी गाड़ी में बैठकर कहीं गया था। तुम्हें पता है कि वह कहाँ गया था ?"दिनकर ने कहा,"मैडम मुझे नहीं पता। मैंने एकबार पूछा था तो उसने डांट दिया था।""तुमने कहा था
(17) गगन एक टेबल पर ऑर्डर ले रहा था। उसे मैसेज अलर्ट मिला। लेकिन उस समय वह मैसेज चेक नहीं कर सकता था। उसने कस्टमर का आर्डर लिया और किचन में जाकर बता दिया। जब तक ऑर्डर तैयार हो ...Read Moreथा उसने अपना फोन निकाल कर देखा। उसके वाट्सएप ग्रुप ब्लैक नाइट पर मैसेज था। उसने इधर उधर देखा। कोई भी उसकी तरफ नहीं देख रहा था। उसने मैसेज खोलकर पढ़ा,'सभी पंछियों को नया घोंसला दिखाना है। कल रात पुराने घोंसले पर मिलो'गगन समझ गया कि उत्तरी पहाड़ के जंगल में उस पुराने मकान की बात हो रही
(18)अहाना उस अंधेरी तहखाने जैसी जगह में बंद थी। दिन में दो बार एक आदमी खाना रखकर चला जाता था। शुरू में तो अहाना ने खाया नहीं। पर बाद में उसके लिए भूख बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया तो ...Read Moreखाने लगी। उसे पूरे दिन में एक बार नित्यकर्म के लिए ले जाया जाता था। वह भी अंधेरा होने के बाद। उसने गिनती की थी। अब तक बारह बार खाना आया था और पाँच बार नित्यकर्म के लिए ले जाया गया था। उसने अंदाज़ा लगाया कि इस हिसाब से उसे यहाँ छह दिन हो गए थे।आरंभ में जब
(19)काबूर अब आहते में आकर बैठ गया था। एक मिट्टी के छोटे से घड़े से वह कुछ पी रहा था। घड़े का पूरा पेय पीने के बाद वह उठकर एक भयानक हंसी हंसते हुए नाचने लगा।अंदर भी सभी खड़े ...Read Moreनाच रहे थे। उन सभी ने अपने चोंगे उतार दिए थे। पूर्णतया निर्वस्त्र वह सभी उन्माद से भरे नाच रहे थे। एक मिट्टी के घड़े में कोई पेय था। सभी बारी बारी से उस घड़े में से पेय पीते हुए उसे अपने साथी को पकड़ाते जा रहे थे। वह घड़ा एक हाथ से दूसरे में होता
(20)कमरे में गुरुनूर, विलायत खान और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे मौजूद थे। उनके सामने बंसीलाल और मनसुखा बैठे थे। विलायत खान ने बंसीलाल से कहा,"इनका बेटा मंगलू तुम्हारी दुकान पर काम करता था। कहांँ है वह ?""सर हमने बताया ...Read Moreकि मंगलू को रानीगंज की बस में बैठा दिया था। उसने कहा था कि बस अड्डे से वह आराम से अपने घर चला जाएगा। अब ना जाने कहाँ चला गया। इसमें हमारी क्या गलती है।"मनसुखा ने कहा,"गलती कैसे नहीं है। जब अपना काम था तब तो घर से लेकर आए थे। अब उसको ऐसे ही बस में
(21)दीपांकर दास अपने व्यक्तिगत कक्ष में था। इस कक्ष में एक साधारण सा बिस्तर, एक कबर्ड और एक राइटिंग टेबल थी। बड़े से कमरे में बाकी स्थान खाली था। एक तरफ फर्श पर चटाई बिछी थी। दीपांकर दास उस ...Read Moreपर बैठा था। हाथ में एक फ्रेम था जिसमें उसके और सुनंदा के साथ लिपा थी। लिपा हमेशा की तरह हंस रही थी। तस्वीर हाथ में लिए हुए दीपांकर दास को उसकी हंसी सुनाई पड़ने लगी।लिपा कुछ समय पहले ही स्कूल पिकनिक से लौटी थी। वह बहुत खुश थी। अपने और अपनी सहेली के साथ हुई एक बात
(22)शिवराम हेगड़े दीपांकर दास के सामने बैठा था। वह उसे अपनी समस्या बता रहा था। दीपांकर दास उसे बड़े ध्यान से देख रहा था। वह एक मॉडल की तरह खूबसूरत था। लेकिन दीपांकर दास को लग रहा था कि ...Read Moreबनावट किसी खिलाड़ी जैसी है। शिवराम उसे बता रहा था कि वह पिछले पाँच साल से मॉडलिंग में अपना भाग्य आजमा रहा है। उसे कुछ सफलता भी मिली है। लेकिन इधर उसका मन बहुत अशांत रहने लगा है। इसलिए जब उसने दीपांकर दास की ध्यान तकनीक के बारे में सुना तो यहाँ चला आया। उसने दीपांकर दास से
(23)गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे बहुत देर तक केस के बारे में चर्चा करते रहे। उन लोगों ने आगे क्या करना है उसकी एक रूपरेखा बनाई। जब गुरुनूर सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे के साथ सरकटी लाशों के केस ...Read Moreविचार करके बाहर निकली तो विलायत खान ने कहा कि मंगलू का पिता मनसुखा अपनी पत्नी के साथ आया है। वह उससे मिलना चाहता है। गुरुनूर जब उससे मिलने गई तो मंगलू की माँ उसके पैर पकड़ कर रोते हुए बोली,"हमारे मंगलू को ढूंढ़ दीजिए। वह हमारा एक ही बच्चा है।"यह कहकर उसने अपना सर उसके पैरों पर
(24)शिवराम हेगड़े ने पेड़ से नीचे उतर कर इधर उधर देखा। यह उस मकान का बैकयार्ड था। यहाँ उस तरह के और भी पेड़ लगे हुए थे। शिवराम हेगड़े ने इस बात की तसल्ली कर ली कि वहाँ कोई ...Read Moreतो नहीं। जब उसे कोई दिखाई नहीं पड़ा तो उसने सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह को संदेश दिया कि सब ठीक है। वह उसी जगह पर खड़ा होकर उसकी राह देखे। सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह से बात करके वह आगे बढ़ गया। सावधानी से बढ़ते हुए वह ऐसी जगह की तलाश कर रहा था जहाँ से मकान के
(25)दीपांकर दास परेशान हो गया। वह उठकर कमरे के दरवाज़े तक गया। दरवाज़ा खोलने की कोशिश की। पर दरवाज़ा बाहर से बंद था। उसने अपनी मुठ्ठियों से दरवाज़ा पीटना शुरू किया। वह चिल्ला रहा था,"शुबेंदु....शुबेंदु..... दरवाज़ा खोलो। मुझे यहाँ ...Read Moreनिकालो।"वह बहुत देर तक दरवाज़े को पीटते हुए शुबेंदु को आवाज़ लगाता रहा। लेकिन कुछ नहीं हुआ। थककर वह दरवाज़े के पास ही फर्श पर बैठ गया। वह समझ नहीं पा रहा था कि उसे अचानक यह क्या हो जाता है। वह इस भयानक रूप में क्यों आ जाता है। अचानक ही उस पर एक बेहोशी सी छा
(26)पालमगढ़ पुलिस स्टेशन में हल्ला सा उठा था। दो लोग अपनी शिकायत लेकर थाने में आए थे। दोनों आपस में लड़ते हुए एक दूसरे पर आरोप लगा रहे थे। इस शोर-शराबे से गुस्सा होकर इंस्पेक्टर कमल जोशी ने डांटते ...Read Moreकहा,"सबसे पहले तो तुम दोनों चुप हो जाओ। यह पुलिस स्टेशन है कोई मछली बाजार नहीं है। अगर शांत नहीं हुए तो दोनों को ही अंदर कर दूँगा।"डांट सुनकर दोनों चुप हो गए। उसके बाद इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने अपने साथी इंस्पेक्टर से कहा कि वह उन दोनों की बात सुनकर मामला दर्ज करे। यह आदेश देकर
(27)गुरुनूर थाने लौटकर आई तो इंस्पेक्टर कैलाश जोशी का फोन आया। उसने गुरुनूर को अहाना के केस में जो भी पता चला था बता दिया। साथ ही उसे अहाना के गुनहगार के कत्ल के बारे में भी बताया। उसने ...Read Moreकि क्या अमन के केस में आगे कोई सफलता मिली है। गुरुनूर ने उसे मंगलू के अपहरण और अब तक जो कुछ भी हुआ था उसके विषय में बताया। मंगलू का अपहरण भी रानीगंज जाते समय हुआ था। गुरुनूर ने इंस्पेक्टर कैलाश जोशी से कहा कि वह अपनी एक टीम रानीगंज भेजकर अच्छी तरह जांच करवाए। उसने मंगलू के
(28)दीपांकर दास इस समय किसी और कमरे में था। उसको यह तो नहीं पता था कि वह इस समय कहाँ है पर यह वह कमरा नहीं था जिसमें वह बंद था। उसने कमरे का निरीक्षण किया। यह कमरा बड़ा ...Read Moreइसमें एक बिस्तर था। साथ में अटैच्ड वॉशरूम था। एक खिड़की थी। उससे बाहर झांकने पर कुछ पेड़ दिखाई दे रहे थे। लेकिन उसने खिड़की को खोलने की कोशिश की तो वह खुल नहीं पाई।उसे याद था कि कल रात किसी ने उसे खाना दिया था। उसने उस आदमी से शुबेंदु के बारे में पूछा। लेकिन उसने
(29)शिवराम हेगड़े को भी एक नई जगह पर लाकर रखा गया था। कल वह खाना खाकर सो गया था। आज जब नींद खुली तो उसने खुद को इस जगह पर पाया। यह एक छोटा सा कमरा था। उसकी आँख ...Read Moreतो वह बिस्तर पर लेटा हुआ था। खुद को नई जगह पर पाकर वह बिस्तर से उठकर इधर उधर देखने लगा। कमरे में एक बिस्तर के अतिरिक्त और कुछ नहीं था। कमरे की एक दीवार पर ऊपर की तरफ एक गोल छेद था। उस पर लोहे की एक ग्रिल लगी थी। उसमें से छनकर रौशनी अंदर आ
(30)कुछ देर पहले ही इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने फोन करके गुरुनूर को सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर और उसकी टीम के द्वारा रानीगंज में जो जांच की गई थी उसके बारे में बताया था। अभी तक उन्हें मंगलू के अतिरिक्त किसी ...Read Moreबारे में कोई उपयोगी जानकारी नहीं मिली थी। इंस्पेक्टर कैलाश जोशी ने बताया कि उनकी टीम अपनी कोशिश कर रही है। लेकिन एक दूसरी बहुत महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। रानीगंज थाने में एक किशोर उम्र के लड़के के लापता होने की रिपोर्ट लिखाई गई है। सब इंस्पेक्टर नंदकिशोर रानीगंज थाने में उस केस के बारे में और अधिक
(31)उत्तर वाले पहाड़ के खंडहर में मिली लाशों और सात नर मुंडों की जांच की गई। लाशों से मिले डीएनए को कांस्टेबल उद्धव, अहाना और मंगलू के परिवार वालों से मिलाया गया। लाशें उन तीनों की ही थीं। नर ...Read Moreमें भी तीन नर मुंडों की पहचान अहाना, मंगलू और अमन के रूप में हुई। अहाना और मंगलू के घर वालों को सूचना दे दी गई। बसरपुर में तनाव का माहौल था। लोगों में और अधिक डर बैठ गया था। सब तरफ केवल मिली हुई लाशों की चर्चा हो रही थी। चंद्रेश कुमार की अगुवाई में
(32)पुलिस की गतिविधियां अचानक बढ़ गई थीं। इस बात से जांबूर परेशान था। उसने अपने साथियों की एक मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में काबूर और उसके अन्य दो साथी थे। जांबूर हमेशा की तरह काला चोंगा और शैतान ...Read Moreमुखौटा पहने हुए था। मुखौटे के पीछे से झांकती जांबूर की आँखें गुस्से से लाल थीं। उसने कहा,"बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है। पुलिस हमारी हर जगह पर पहुँच रही है। पहले दक्षिणी पहाड़ वाले खंडहर में। फिर उत्तर के पहाड़ वाले खंडहर में। वहाँ से उन्हें नर मुंड और कंकाल भी मिल गए। वो एसपी गुरुनूर कौर बड़ी
(33)शांति कुटीर में पुलिस की कार्यवाही से बसरपुर में लोगों के बीच एक गुस्सा था। लोगों के बीच दीपांकर दास की छवि अच्छी थी। लोगों का कहना था कि पुलिस क्योंकी सही गुनहगार को पकड़ने में नाकामयाब रही है ...Read Moreइस तरह की कार्यवाही से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है। पुलिस ने अपनी कार्यवाही के लिए जो दलीलें दी थीं वह सही साबित नहीं हुईं। इसलिए लोग और अधिक गुस्से में थे।शांति कुटीर का मैनेजर नीलेश कुछ लोगों के साथ पुलिस स्टेशन आया हुआ था। उसने पुलिस स्टेशन में दीपांकर दास और शुबेंदु के लापता होने
(34)हावड़ा पुलिस ने दीपांकर दास के बारे में एक फाइल गुरुनूर को ईमेल की थी। गुरुनूर डिनर के बाद अपने आवास पर उसे अपने लैपटॉप पर पढ़ने जा रही थी कि तभी उसके डैडी का फोन आ गया। इधर ...Read Moreअपनी व्यस्तता के चलते वह अपने घर फोन नहीं कर पाई थी। उसके डैडी ने उससे उसका हालचाल पूछा। उसे परेशानियों से घबराने की जगह धैर्य और हिम्मत से काम लेने की सलाह दी। अपने डैडी से बात करने के बाद गुरुनूर अपना लैपटॉप लेकर अपने कमरे में चली गई।उसने लैपटॉप पर वह फाइल खोली। उसमें कुछ तस्वीरें और
(35)मदद का इंतज़ार करते हुए सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने नज़ीर का मैसेज पढ़ा। उसने लिखा था,'गगन के पीछे जा रहा हूँ....सही मौका मिलने पर फोन करूँगा....."मैसेज पढ़ने के बाद सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे सोच में पड़ गया। सिर्फ ...Read Moreस्पष्ट था कि नज़ीर गगन के पीछे कहीं जा रहा है। कहाँ जा रहा है ? कैसे उसका पीछा कर रहा है कुछ स्पष्ट नहीं था। वह झल्लाया कि कम से कम पूरी बात बतानी चाहिए थी। लेकिन फिर उसके मन में आया कि हो सकता है कि उसके पास इतना समय ही ना रहा हो। उसने जल्दी
(36)संजीव के मकान के बाहर पुलिस की जीप आकर रुकी। उसमें गुरुनूर, सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे और हेड कांस्टेबल ललित के साथ जगत भी था। जगत ने कहा,"संजीव यहीं रहता है। मैंने अपना काम कर दिया है। मुझे अब ...Read Moreघर जाना है। आप लोग मुझे वापस छोड़कर आइए।"सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,"हम अपनी कार्यवाही कर लें फिर तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ देंगे।"जगत ने डरते हुए कहा,"आप लोगों ने कहा था कि संजीव का घर दिखा दो। इसलिए चला आया था। अब अगर आप लोगों की
(37)बसरपुर में असंतोष का माहौल था। यह बात जंगल की आग की तरह फैल गई थी कि जिस आदमी को पुलिस ने केस के सिलसिले में पकड़ा था उसकी लॉकअप में संदिग्ध हालात में मौत हो गई है। यही ...Read Moreपुलिस स्टेशन के पास एक गली में एक दूसरी लाश मिली है। वह लाश बसरपुर के रेस्टोरेंट में काम करने वाले की है जो पुलिस स्टेशन में खाना पहुंँचाने गया था। लोग गुस्से में थे कि एसपी गुरुनूर कौर बातें तो बड़ी बड़ी कर रही है पर कुछ कर नहीं पा रही है। हर थोड़े समय के बाद बसरपुर
(38)गुरुनूर की आँखों में पट्टी बांधकर उसे एक कमरे में ले जाया गया था। यहाँ लाकर उसे एक कुर्सी पर बैठा दिया गया था। उसके बाद उसकी आँखों से पट्टी हटा दी गई। उसकी आँखों के सामने के दृश्य ...Read Moreस्पष्ट होने में कुछ समय लगा। उसने देखा कि वह कमरे की बीच में एक कुर्सी पर बैठी है। उसके सामने एक खाली कुर्सी पड़ी हुई थी। उसे यहाँ लेकर आने वाले दोनों लोग कमरे से जा चुके थे। उसने इधर उधर निगाह दौड़ाई। कमरे में कोई खिड़की नहीं थी। दीवारों पर गहरा रंग था। जिसके कारण कमरे में बहुत
(39)गुरुनूर के गायब हो जाने के बाद से ही बसरपुर में उसको लेकर कई तरह की बातें हो रही थीं। उसे नापसंद करने वाले लोग उसके बारे में तरह तरह की अफवाह उड़ा रहे थे। उनका कहना था कि ...Read Moreकी शर्म के कारण ही वह केस छोड़कर भाग गई है। इन लोगों में बंसीलाल सबसे आगे था। उसका कहना था कि अब पुलिस पर दबाव बनाया जाए कि केस के लिए किसी काबिल ऑफिसर को भेजा जाए। यह बसरपुर के निवासियों की ज़िंदगी का सवाल है। उनकी ज़िंदगियों के साथ खिलवाड़ ना किया जाए। यही बात कहने
(40)रितेश अपने दोस्तों से विदा लेकर अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने के लिए चल दिया। अपने दोस्तों को उसने कहा था कि उसे अपनी मौसी से मिलने जाना है। उनका घर पास ही है। वह पैदल चला जाएगा। उसके दोस्तों ...Read Moreउसकी बात पर यकीन कर लिया। वह मॉल से कुछ आगे जाकर अंदर जाती सड़क पर मुड़ गया। उसके बाद एक गली थी। उसे पार करके वह दूसरी सड़क पर चला जाता जहाँ वो रेस्टोरेंट था। जब रितेश अपने दोस्तों से विदा ले रहा था तब नागेश रेस्टोरेंट से निकल कर उस गली की तरफ बढ़ गया था। गली
(41)गोल छेद में लगी ग्रिल से रौशनी अंदर आ रही थी। शिवराम हेगड़े उस आती हुई रौशनी को ध्यान से देख रहा था। इस रौशनी को देखकर वह रोज़ सुबह खुद को इस कैद में आशावान रखने की कोशिश ...Read Moreथा। लेकिन आज अंदर आती हुई रौशनी उसके मन को अशांत कर रही थी। उसे इस कैद में बहुत समय हो गया था। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ था। उसे तो लगता था कि उसके और सब इंस्पेक्टर रंजन सिंह के गायब होने का शक सीधा दीपांकर दास पर जाएगा। एसपी गुरुनूर कौर उसे और शुबेंदु को
(42)नज़ीर के लिए चुपचाप घर में बैठना मुश्किल हो रहा था। वह पुलिस के लिए मुखबुरी करता था। उसे लगता था कि वह बहुत होशियार और बहादुर है। लेकिन जब गगन ने उसे मात दे दी तो उसका मन ...Read Moreहो गया था। घर पर बैठे हुए वह सोचता था कि जिस गगन के दब्बूपन पर सब हंसते थे उसने एक ही बार में उसे मात दे दी। यह सोचकर अपने आप पर उसका विश्वास कम होने लगा था। वह अपनी ही नज़रों में गिरना नहीं चाहता था। इसलिए उसने तय किया कि वह इस तरह शांत नहीं बैठेगा।सब
(43)दीपांकर दास अपने बिस्तर पर लेटा था। वह पसीने से तर बतर था। सोते हुए अचानक उसकी आँख खुल गई थी। जो कुछ उसने सपने में देखा था वह बहुत भयानक था। वह डरकर कांप रहा था। उसकी सांसें ...Read Moreसे चल रही थीं। कुछ देर उसी तरह वह बिस्तर पर लेटा रहा। कुछ देर बाद उसने महसूस किया कि उसका गला सूख रहा है। उसे बहुत ज़ोर की प्यास लगी थी। वह बिस्तर से उठा। कमरे के एक कोने में जग रखा हुआ था। वह जग उठाकर पानी पीने लगा। जग आधा भरा हुआ था। वह गटागट
(44)भानुप्रताप, संजीव और गगन एक कमरे में थे। जब तीनों जांबूर की मीटिंग से निकल कर अपने घर जा रहे थे तब उन्हें रोक लिया गया था। एक गाड़ी में बैठाकर यहाँ लाया गया था। तबसे तीनों यहीं थे। ...Read Moreगगन और संजीव समझ नहीं पा रहे थे कि ऐसा क्यों किया गया है। गगन ने कहा,"सबको तो जाने दिया फिर हम लोगों को यहाँ लाकर रखने का क्या मतलब है ?"संजीव ने भी यही सवाल दोहराया। पर भानुप्रताप ने उन दोनों के इस सवाल का जवाब नहीं दिया। वह खुश था कि उन लोगों को यहाँ लाकर
(45)रानीगंज के प्रसिद्ध देवी मंदिर के पास पूजा सामग्री की एक दुकान थी। दुकान के मालिक मंगल ने कांस्टेबल मनोज को फोन करके बुलाया था। कांस्टेबल मनोज उसके गांव का था। मंगल जानता था कि कांस्टेबल मनोज पुलिस की ...Read Moreटीम का हिस्सा है जो बसरपुर की सरकटी लाशों के केस पर काम कर रही है। वह बेसब्री से कांस्टेबल मनोज के आने की राह देख रहा था। मंगल जानता था कि बसरपुर में किशोर लड़कों का सर काट कर उनकी बलि चढ़ाई जा रही है। इसके लिए किशोर उम्र के लड़कों का अपहरण किया जाता है। इसी
(46)वह आदमी रंजन सिंह था। उसने टॉर्च की रौशनी कान्हा के चेहरे पर मारी। कान्हा रंजन सिंह को देखकर थर थर कांप रहा था। उसे इस हालत में देखकर रंजन सिंह के मन में आया कि अब वह कुछ ...Read Moreघंटों का मेहमान है। आज अमावस है। आधी रात के बाद यहाँ ज़ेबूल के पुजारी जमा हो जाएंगे। ज़ेबूल की पूजा करेंगे। उसे खुश करने के लिए इसकी बलि देंगे। उसने कान्हा से कहा,"तुम्हारे लिए खाना लेकर आया हूँ। खा लो।"यह कहकर उसने हाथ में पकड़े हुए पैकेट से खाना निकाल कर एक प्लास्टिक की प्लेट में डालकर उसके
(47)रंजन सिंह बहुत उलझन में था। उसने इस विषय में अपने मन को गहराई से टटोल कर देखा। उसने पाया कि जो कुछ उसके ताऊ ने उन लोगों के साथ किया था उसके लिए उसके मन में भी एक ...Read Moreहै। वह हर उस घटना को याद करने लगा जब उसके ताऊ और ताई ने उन्हें दुख दिया था। ताऊ तो अपने हिसाब से उन दोनों भाइयों को दबाकर रखते ही थे पर ताई भी बात बात पर झिड़कती रहती थीं। बड़ा होने के कारण महिपाल को अधिक अपमान सहना पड़ता था। कई बार रंजन ने अपने भाई को
(48)दीपांकर दास ने ध्यान से उस शख्स को देखा। उसे पहचान कर उसने आश्चर्य से कहा,"तुम ? यहाँ कैसे आए ?"उसके सामने शिवराम हेगड़े खड़ा था। उसके चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे कि वह कुछ समझ ही ना ...Read Moreरहा हो। उसने फर्श पर फैले खून को देखा। उसे उबकाई आ गई। फिर उसकी नज़र सरकटी लाश पर पड़ी। उसके पास ही शैतान वाला मुखौटा पड़ा था। वह डर गया। शिवराम हेगड़े के लिए वहाँ खड़ा होना कठिन हो रहा था। वह कमरे से बाहर निकल गया। दीपांकर दास भी उसके पीछे पीछे बाहर आ गया। वह खुद बहुत
(49)पुलिस लॉकअप में दीपांकर दास फर्श पर अपने घुटनों में सर रखकर बैठा था। पुलिस ने उस पर जो आरोप लगाया था उसे सुनकर वह बहुत अधिक परेशान हो गया था। वह समझ नहीं पा रहा था कि शैतान ...Read Moreपर इस तरह कैसे हावी हो जाता था कि उसने इतना घिनौना काम किया। वह तो ऐसा नहीं था। उसके अंदर इतनी निर्ममता कैसे आ गई। यह सब सोचते हुए उसके ज़ेहन में कुमुदिनी की लाश उभर आई। लाश पर उन दरिंदों की वहशियत के निशान दिखाई पड़ रहे थे। उसकी नसें गुस्से में तनी जा रही थीं। वह
(50)शिवराम हेगड़े पुलिस टीम के साथ बसरपुर आ गया था। यहाँ आने पर जब वह शांत हुआ तो उसने ठंडे दिमाग से जो कुछ घटा उस पर विचार करना शुरू किया। उसके मन में कई सारे सवाल उभरे। वह ...Read Moreजवाब खोजने के लिए आतुर हो गया। एसीपी मंदार पात्रा ने उससे कहा था कि अब वह वापस जा सकता है। पर अपने सवालों के जवाब जाने बिना वह वापस नहीं जाना चाहता था। वह एसीपी मंदार पात्रा से मिला और निवेदन किया कि कुछ दिन उसके बसरपुर में ठहरने की व्यवस्था कर दी जाए। एसीपी मंदार पात्रा ने उसकी
(51)सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ध्यान से उसकी हरकतों को देख रहा था। वह समझने की कोशिश कर रहा था कि दीपांकर दास यह सब जानबूझ कर गुमराह करने के लिए तो नहीं कर रहा है। हांलांकि उसे अनुभव हो ...Read Moreथा कि जो कुछ वह कह रहा है सच हो सकता है। उसकी परेशानी बनावटी नहीं है। फिर भी वह पूरी तरह से उसे शक के दायरे से बाहर नहीं रखना चाहता था। उसने कहा,"शुबेंदु साये की तरह तुम्हारे साथ रहता था। फिर भी तुम उसके बारे में कुछ कह नहीं पा रहे हो। शुबेंदु उस दिन तुम्हारे साथ शांति
(52)एसीपी मंदार पात्रा ने दो महत्वपूर्ण बातें बताने के लिए फोन किया था। एक तो यह कि दीपांकर दास को बसरपुर से पालमगढ़ ले जाने का फैसला किया गया था। लोगों में दीपांकर दास को लेकर बहुत गुस्सा था। ...Read Moreविभाग को ऐसा लगता था कि उसे बसरपुर से हटाना ही सही होगा। बसरपुर में दीपांकर दास की सुरक्षा के इंतज़ाम करना कठिन था। इसलिए उसे पालमगगढ़ ले जाने के आदेश दिए गए थे। दूसरी बात एसपी गुरुनूर कौर के पिता से संबंधित थी। अभी तक उन्होंने उसके गायब होने पर चुप्पी साध रखी थी। लेकिन जब मीडिया में खबरें
(53)गुरुनूर एक तंग कोठरी में कैद थी। कोठरी में हवा और रौशनी आने की व्यवस्था नहीं थी। इसके कारण कोठरी का महौल दम घोंटने वाला था। उस उमस और बदबू से भरी कोठरी में गुरुनूर एक कोने में घुटनों ...Read Moreअपना सर रखकर बैठी थी। उसे बहुत उलझन हो रही थी। यह उलझन उमस और बदबू के कारण नहीं थी। यह उलझन कुछ ना कर पाने की थी। उसे पहले कहीं और कैद करके रखा गया था। वहाँ वह इस फिराक में थी कि मौका मिलते ही भाग ले। पर उसे सही मौका मिल नहीं पाया। मौका मिलता उससे पहले
(54)गुरुनूर के बारे में सुनकर दीपांकर दास सर झुकाए बैठा था। उसका कहना था कि उसने गुरुनूर को नहीं मारा। उसे तो यह भी नहीं पता था कि उसका अपहरण हुआ था। सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ध्यान से उसके ...Read Moreभाव को देख रहा था। दीपांकर दास बहुत ही परेशान था। एक विभ्रम की स्थिति में था। उसकी यह स्थिति सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे को परेशान कर रही थी। दीपांकर दास का बार बार हर चीज़ से इंकार करना उसे खिझा रहा था। उसने गुस्से से कहा,"मुझे तो लगता है कि तुम इस तरह की हरकत करके गुमराह करने की
(55)एसीपी मंदार पात्रा ने देखा कि सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे अभी भी बैठा है। वह किसी दुविधा में लग रहा था। उन्हें लगा कि उसके मन में कुछ और भी है। उन्होंने कुछ क्षण उसके बोलने का इंतज़ार किया। ...Read Moreजब वह कुछ नहीं बोला तो उन्होंने पूछा,"कोई मदद चाहिए ?"सब इंस्पेक्टर आकाश दुबे ने कहा,"कुछ और बातें हैं जिनके बारे में आपसे चर्चा करना है।"एसीपी मंदार पात्रा ने उसे घूरकर देखा। उन्होंने कहा,"अब चर्चा के लायक क्या बचा है ?""सर एसपी गुरुनूर कौर की हत्या के बारे में बात करनी है।"एसीपी मंदार पात्रा ने कहा,"इस संबंध में भी कोई
(56)इस कमरे में बहुत मद्धम रौशनी थी। दीवारों पर गहरा रंग था। जिसके कारण कमरे का माहौल बहुत रहस्यमई लग रहा था। कमरे में एक कबर्ड के अतिरिक्त कोई और सामान नहीं था। कमरे के बीचों बीच फर्श पर ...Read Moreचटाई बिछी थी। उस चटाई पर एक आदमी पालथी मारकर बैठा था। उसकी आँखें मुंदी हुई थीं। वह उस अवस्था में बिना हिले डुले ऐसे बैठा था जैसे कि कोई बुत हो। पर बाहर से शांत उस व्यक्ति के मन में बहुत कुछ चल रहा था। वह छह साल पहले अपने अतीत में विचरण कर रहा था। हॉल भरा हुआ
(57)सिवन अपना घर छोड़ने के बाद वापस कोटागिरी गया। वह वहाँ रहकर ज़ेबूल की आराधना करने लगा। वहीं उसकी मुलाकात शुबेंदु से हुई। शुबेंदु वहीं एक आश्रम में रह रहा था। उसके गुरु का निधन हो गया था और ...Read Moreउनके आश्रम की व्यवस्था देख रहा था। लेकिन वह शैतान का पुजारी था। वह अक्सर समुदाय द्वारा की गई ज़ेबूल की आराधना में शामिल होता था। सिवन और उसके बीच अच्छी दोस्ती हो गई। समुदाय के एक वरिष्ठ सदस्य से सिवन को ग्यारह अमावस के अनुष्ठान के बारे में पता चला। यह एक कठिन अनुष्ठान था। इसमें आरंभ की सात
(58)बिप्लव बर्मन के पास बहुत सारी पुश्तैनी जायदाद थी। व्यापार से भी कुछ धन कमाया था। अचानक उनका मन संसार से उचट गया। उन्होंने व्यापार बंद कर दिया। कोटागिरी में उनका एक भवन था। वहाँ रहने लगे। उन्होंने ध्यान ...Read Moreएक तकनीक विकसित की। उसमें पारंगत होने के बाद लोगों को सिखाने लगे। बिप्लव बर्मन का संबंध शुबेंदु के गांव से था। जिन दिनों शुबेंदु अपने गांव गया था बिप्लव बर्मन भी वहीं थे। शुबेंदु उनसे प्रभावित हुआ। उन्हें भी शुबेंदु अच्छा लगा। उसे अपने साथ कोटागिरी ले गए। शुबेंदु जल्दी ही उनका सबसे प्रिय शिष्य बन गया। उन्होंने अपना
(59)पंकज जब अजय के घर जा रहा था तो उसने गली में घुसते समय नज़ीर को देखा था। तब उसे कोई शक नहीं हुआ था। उसे लगा था कि वह भी उसकी तरह किसी से मिलने आया होगा। पर ...Read Moreवह अजय के घर से लौट रहा था तो एकबार फिर उसकी नज़र नज़ीर पर पड़ी। वह उसके पीछे पीछे चल रहा था। अब उसे दाल में कुछ काला मालूम पड़ा। वह चाय की दुकान में घुस गया। वह सोच रहा था कि क्या करे ? वह पक्के तौर पर यह नहीं कह पा रहा था कि नज़ीर उसके पीछे
(60) एसपी गुरुनूर कौर को मीटिंग वाले कमरे में ले जाया गया था। उस कमरे में सिवन, शुबेंदु और रंजन सिंह मौजूद थे। पहली बार सिवन ने मुखौटा नहीं पहन रखा था। अब उसे इसकी ज़रूरत महसूस नहीं हो ...Read Moreथी। एसपी गुरुनूर कौर को एक कुर्सी के साथ बांध दिया गया था। सिवन उस कुर्सी के हत्थे पर पैर रखकर खड़ा था। अपने पैर से वह एसपी गुरुनूर कौर का हाथ दबा रहा था। उसके चेहरे पर पीड़ा झलक रही थी। पर वह मुंह से कुछ नहीं कह रही थी। सिवन ने अपना पैर हटाया और रंजन की तरफ