कुछ इस तरह- पूनम अहमद

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कई बार हमें कहीं कुछ ऐसा पढ़ने को मिल जाता है कि पढ़ते वक्त ही ये महसूस होने लगता है कि..अरे!..ऐसा तो हमारे फलाने रिश्तेदार..फलाने पड़ौसी या फिर फलाने जानकार के साथ उसके निजी जीवन में घटा था या अभी वर्तमान में भी घट रहा है।दरअसल..यह लेखकों की पारखी नज़र और चरित्रों को समझने की समझ का ही कमाल होता है कि वे अपने आसपास घट रही रोज़मर्रा की घटनाओं में से ही अपने मतलब का माल निकल कोई ना कोई कहानी रच देते हैं।दोस्तों..आज मैं रोज़मर्रा की घटनाओं से ही प्रेरित हो..लिखे गए एक कहानी संकलन की बात करने