कल तो गोविंद के गुण गाएंगे..

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कल तो गोविंद के गुण गाएगे…एक गाँव था। लहराते खेतों से हरा भरा, अपनी तरह से समृद्ध और आपस में मिलजुलकर रहने वाले गाम लोग।श्रावण के धार्मिक महीनेमें गांव में एक कथा रखी गई। कथाकार लोकवार्ताऐं एवं पौराणिक कथाओं कहने में माहिर था। हररोज नई नई कथा अपने विचारों जोड़कर वह कहता और गाँव या आसपास घटी किसी घटना का वर्णन भी अपनी कथाओं के साथ जोड़ देता था।गाँव के लोग उस कथाकार का बहुत सन्मान करते थे और कोई ना कोइ भेट सौगाद देते थे।एक सुबह कथाकार नजदीक के किसी गाँव से अपना कुछ यजमानवृत्ति का कार्य निपटाकर लौट