सख़्तजान

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दीपक शर्मा “आप की मां का फोन आया है,’’ सुबह के आठ बजने में पन्द्रह मिनट बाकी थे जब जौहरी परिवार की नौकरानी ने उनके वैवाहिक कक्ष पर दस्तक दी । उषा का मोबाइल मां के पास धरे का धरा रह गया था । पिछली शाम विवाह-मण्डप में उसे ले जाते समय मां ने उसके हाथ खाली करवा लिए थे, ‘वधू के हाथ में मोबाइल शोभा नहीं देता...’ “आती हूं, ’’कुन्दन उस समय अभी सो रहा था, मगर उषा अपने नित्य- कर्म से भी निपट चुकी थी और सोफ़े पर बैठी थी । बल्कि रात का अधिकांश समय उसने वहीं