स्वप्नशास्त्र - अंगूठी की चमक

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गर्मियों का मौसम है और धरती अंगारों की तरह तप रही है , पवन की गति भी आड़ी तिरछी यानी एक तरफ ना बहकर हवाएँ भी रुख बदल रही है ना जाने किस ओर से लू के थपेड़े पड़ जाए नहीं मालूम !अब शरद ठहरा आलसी लड़का आज घर पर बहुत काम था शरद की मम्मी देविका ने आवाज लगाया........' शरद....! बेटा गेंहू पिसवा ला...!!शरद- माँ मेरा मूड नहीं है आई काँट गो एनीह्वेयर !!देविका- हाँ हाँ झाड़ इंग्लिश झाड़ खूब झाड़ ...तू रुक अभी आ रही हूं!और देविका कपड़े सूखने को डालकर बाल्टी हाथ मे पकड़े आई ।शरद ने