शमसान घाट (सच्ची भुतिया कहानी )

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ठंड का मौसम रिमझिम बरसात | और समय समय पर चमकती बिजली | एक अलग ही खामोशी को दरशा रही थी | मैं खिड़की के सामनें बैठा | हाथ को खिड़की से बाहर कर | बारिश के पानी के साथ खेल रहा था | बारिश के पानी की कुछ महीन बुँदे मेरे चेहरे पर पड़ रही थी | मैं अपनी आँखें बंद कर उस पल का आनंद ले रहा था | और उस खामोशी में मेंढको की आवाज | एक अलग ही एहशास दिला रही थी | कुछ देर युँही बैठनें के बाद मै सोनें के लिए चला गया |