नून-तेल

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हमारे मुहल्ले वाले दूसरे जन कुन्ती का उसके इसी नाम से जानते हैं मगर वहाँ रहने वाली हम लड़कियाँ उसे एक-एक करके तीन नाम तो दिए ही दिए रहीं: नून-तेल, लिली ओ’ ग्रेडी और इच्च-इच्च। ’नून-तेल’ इसलिए क्योंकि अपने स्कूल के घंटों के बाद वह हमारे साथ खाने-खेलने की बजाय सन्तानविहीन अपने ताऊ के साथ अपने किराने के आटे-दाल और नोन-तेल तौलने और बेचने में लग जाया करती। अपनी उम्र के आठवें ही वर्ष से। जिस वर्ष उसके पिता अभिनेता बनने के चक्कर में उसे, उसकी माँ और दो छोटी बहनों को पुश्तैनी अपनी परचूनी के सहारे छोड़कर मुम्बई चल