पंख फैलाये उकाब

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’’मदर सुपीरियर ने जीवणी हरेन्द्रनाथ को बुलाया है।’’ पाँचवी जमात को को हिन्दी पढ़ा रही सिस्टर सीमोर से मैंने कहा। हमारे कान्वेन्ट में लड़कियों के नाम उनके पिता के नाम के साथ लिये जाते हैं। ’’जीवणी हरेन्द्रनाथ’’, सिस्टर सीमोर ने पुकारा । ’’येस सिस्टर,’’ ऊँचे कद की एक हट्टी-कट्टी लड़की खड़ी हो ली। ’’सिस्टर ग्रिफ्रिन्स के साथ तुम जा सकती हो।’’ ’’येस सिस्टर....’’ ’’तुम्हारे पापा क्या करते हैं?’’ खुले में पहुँचते ही मैंने पूछा। मदर सुपीरियर का दफ्तर दूसरे परिसर में है जहाँ छठी से दसवीं तक की जमातें लगायी जाती हैं जबकि यह प्राइमरी सेक्शन हम सिस्टर्ज़ के कमरों