बाल हठ

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उन दिनों मेरे पिता एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रक ड्राइवर थे और उस दिन मालिक का सोफा-सेट उसके मकान में पहुँचाने के लिए उनके ट्रक पर लादा गया था । मकान में उसे पहुँचाते समय उन्होंने अहाते से मुझे अपने साथ ले लिया । अहाता भी इसी मालिक का था जहाँ उसके मातहत रहा करते । ’’मुकुन्द?’’ मालिक के फाटक पर तैनात रामदीन काका ने मुझे देखकर संदेह प्रकट किया । हम अहाते वालों को मकान में दाखिल होने की आज्ञा नहीं थी । ’’बालक है । बाल-मन में मालिक का मकान अंदर से देखने की इच्छा उठी है’’, आठवें